सुप्रीम कोर्ट ने तबादले पर सीबीआइ अफसर बस्सी को नहीं दी कोई राहत
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) में पुलिस उपाधीक्षक एके बस्सी का तबादला पोर्ट ब्लेयर किए जाने के मामले में मंगलवार को हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। बस्सी जांच ब्यूरो में पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच कर रहे थे और उनका कहना था कि इस तबादले से यह जांच प्रभावित होगी।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूíत एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रह्माण्यम की पीठ ने बस्सी से सवाल किया कि तबादले के आदेश के अनुसार वह पोर्ट ब्लेयर क्यों नहीं गए? पीठ ने अपने आदेश में कहा कि बस्सी इस तबादले के खिलाफ राहत के लिए उचित मंच में जा सकते हैं। पीठ ने याचिका को वापस लिया मानकर खारिज कर दिया।
इससे पहले पीठ ने बस्सी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन से पूछा, क्या यह सही है कि आपने अभी तक पोर्ट ब्लेयर में अपना पदभार ग्रहण नहीं किया है? धवन ने जवाब दिया कि गलत तरीके से उनके तबादले का आदेश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने पिछले साल आठ जनवरी को उन्हें अपने तबादले के आदेश के बारे में प्रतिवेदन देने की छूट प्रदान की थी। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के बाद उनका तबादला आदेश नौ जनवरी, 2019 को वापस ले लिया गया था। लेकिन, एक दिन बाद ही जांच एजेंसी के नए निदेशक आए और उन्होंने 11 जनवरी को फिर तबादले का आदेश दे दिया।
धवन ने कहा, तबादला आदेश वापस लेने के बाद यह मामला यहीं खत्म हो जाना चाहिए था। लेकिन 10 जनवरी, 2019 को सीबीआइ के नए निदेशक आए और कहा, मैं घोषणा करता हूं कि नौ जनवरी, 2019 का आदेश अस्तित्व में नहीं है और तबादला आदेश बहाल कर दिया। पीठ ने कहा कि अगर बस्सी सोचते हैं कि तबादले का आदेश गैरकानूनी या गलत था तो भी उन्हें पोर्ट ब्लेयर में अपना पदभार ग्रहण करना चाहिए। न्यायालय इसे निरस्त कर दे तो अलग बात है।
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