मानवाधिकारों पर पाकिस्तान की खुली पोल, यूएन ह्यूमन राइट्स काउंसिल में गरजे प्रोफेसर
नई दिल्ली (आईएएनएस)। पाकिस्तान में मानवाधिकारों की जिस तरह से धज्जियां उड़ाई जा रही हैं उसको लेकर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ गुलाम कश्मीर के गिलगिट बाल्टिस्तान में जबरदस्त गुस्सा दिखाई दे रहा है। नेशनल इक्वलिटी पार्टी के चेयरमेन प्रोफेसर मुहम्मद सज्जाद ने इसको लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने यूएन ह्यूमन राइट्स काउंसिल के 44 वें रेग्युलर सेशन में इमरान खान सरकार के ऊपर कई तरह के संगीन आरोप लगाए हैं। उन्होंने इस मौके पर पिछले वर्ष गायब हुए मानवाधिकार कार्यकर्ता इदरिस खट्टाक का भी मुद्दा उठाया।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सरकार कश्मीर के लोगों को और कश्मीर आजाद कहती जरूर है, लेकिन उन्होंने ये झूठा लेबल दुनिया को दिखाने के लिए यहां के लोगों पर लगा रखा है। सज्जाद का कहना था कि यहां के लोगों से पाकिस्तान की सरकार जिस तरह से पेश आ रही है उसको यहां के निवासी बर्दाश्त नहीं करने वाले हैं। ये उन्हें कतई मंजूर नहीं है। इस मौके पर उन्होंने यहां तक कहा कि सरकार लोगों को पकड़कर उन्हें मौत के घाट उतार रही है। जो सरकार के खिलाफ सच बोलने की हिम्मत दिखाता है उसके खिलाफ यही कार्रवाई की जाती है।
पाकिस्तान में मानवाधिकारों पर अपनी बात रखते हुए सज्जाद का कहना था कि यहां के लोगों को आईएसआई के जुल्मों का शिकार होना पड़ रहा है। उन्होंने इस मौके पर पूरी दुनिया के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर भी अपना गुस्सा उतारा जो इन मुद्दों पर खामोश हो जाता है। उनका कहना था कि पाकिस्तान की सरकार गुपचुप तरीके से लोगों को हिरासत में लेती है उन्हें प्रताडि़त करती है और उन्हें गायब भी करवा देती है। ये पाकिस्तान के लंबे इतिहास का एक घिनौना सच रहा है, जिसके भुग्तभोगी गिलगिट बाल्टिस्तान के लोग रहे हैं। जो भी कोई इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाता है उसको हर तरह की परेशानी से दो-चार होना पड़ता है।
सज्जाद ने कहा कि इमरान सरकार ने इस तरह की कार्रवाई को रोकने के बड़े-बड़े वादे जरूर किए, लेकिन वो सब कुछ हकीकत से पूरी तरह से अलग रहे हैं। उन्होंने मानवाधिकारों को लेकर किए जा रहे उल्लंघन को न रोक पाने के लिए सरकार को पूरी तरह से विफल करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों की जांच होनी चाहिए और जो इसके दोषी हैंउन्हें सजा दी जानी चाहिए। पाकिस्तान में केवल मानवाधिकार कार्यकर्ता ही इस तरह की ज्यादतियों का शिकार नहीं हो रहे हैं, बल्कि दूसरे लोग भी इसके शिकार हैं।
उन्होंने इस दौरान सरकार के उस दस्तावेज का भी जिक्र किया, जो कुछ समय पहले लीक होकर मीडिया में आ गया था। उसमें कहा गया कि था कि पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ जाने वाले पत्रकारों को बख्शा न जाए। खासतौर पर उन पत्रकारों को जो देश के बाहर हैं। ये गोपनीय मेमो 18 जून का है, जिसमें पांच पाकिस्तानी और एक अफगानी पत्रकार पर यूरोप में पाकिस्तान की छवि खराब करने का आरोप लगाया गया है।
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